सैनिटाइजर का प्रयोग हो सकता है जानलेवा

कोरोना वायरस से बचाव के लिए आजकल हर कोई सैनिटाइजर का जमकर इस्तेमाल कर रहा है। इसके दुष्प्रभाव अत्यंत घातक भी हो सकते हैं। सैनिटाइजर में एल्कोहल होने के कारण यह अग्निकांड का कारण भी बन सकता है। हरियाणा के रेवाड़ी में ऐसी ही एक घटना सामने आई है। रेवाडी में अपने घर के रसोईघर में खड़ा होकर 44 वर्षीय व्यक्ति सैनिटाइजर से मोबाइल की स्क्रीन साफ कर रहा था। उसकी पत्नी चूल्हे पर खाना बना रही थी। अचानक सैनिटाइजर ने आग पकड़ ली और व्यक्ति का शरीर 35 फीसदी तक जल गया। परिजन आनन-फानन में घायल को लेकर रविवार रात दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल पहुंचे, जहां उसका उपचार चल रहा है। डॉक्टरों ने कहा कि लापरवाही के चलते यह घटना हुई है। गनीमत रही कि उसकी जान बच गई, अन्यथा सैनिटाइजर की वजह से उसका पूरा शरीर आग की चपेट में आ सकता था।
वरिष्ठ डॉ. महेश मंगल ने बताया कि लोग शायद सैनिटाइजर के घातक परिणाम नहीं जानते। एल्कोहल मिश्रित होने के चलते यह बड़ा नुकसान कर सकता है। रेवाड़ी निवासी घायल रसोईघर में खड़ा होकर सैनिटाइजर से चाबी, मोबाइल की स्क्रीन आदि साफ कर रहा था, ताकि कोरोना संक्रमण का खतरा न हो। इसी बीच, सैनिटाइजर उसके कुर्ते पर गिर गया। ज्यादा मात्रा में गिरने के कारण सेनिटाइजर में पाए जाने वाले एल्कोहल की वजह से फ्यूम बन गया और किचन में जल रहे चूल्हे की वजह से आग लग गई। उसका चेहरा, चेस्ट, पेट, हाथ सब थोड़े थोड़े जल गए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, सैनिटाइजर में 75 फीसदी तक एल्कोहल होता है। यह ज्वलनशील होता है। इसलिए इस्तेमाल के दौरान सावधानी जरूर बरतें। हर चीज को सैनिटाइज करने की जरूरत नहीं है। हाथ को सेनिटाइज करें, क्योंकि इसी से नाक और मुंह छुआ जाता है। इसे बच्चों से दूर रखें। मुंह में जाने से यह जहर भी हो सकता है। घर में रहते हुए इसके इस्तेमाल से बचें। इसके स्थान पर पानी और साबुन का इस्तेमाल करें।



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27 मार्च को हाईकोर्ट ने मुस्तफाबाद कैंप से निकाले गए विस्थापित लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा और आश्रय मुहैया करवाने के आदेश दिए थे। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और नवीन चावला की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कैंप से विस्थापितों के लिए उत्तर पूर्वी जिले में मोहल्ला क्लीनिक संचालित है। पीठ को बताया कि हिंसा के बाद मुस्तफाबाद ईदगाह में बनाए गए राहत शिविर को कोरोना वायरस के खतरे के कारण खाली कराया गया था। अब उन लोगों से संपर्क करके उन्हें लॉकडाउन की स्थिति में भोजन, पानी, मेडिकल और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा के दौरान बेघर हुए लोगों को चिकित्सा और भोजन मुहैया कराने के आदेश पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ईदगाह कैंप से निकलने वाले लोगों की तलाश कर रही है। यह पता करने की कोशिश की जा रही है विस्थापितों को चिकित्सा और भोजन की आवश्यकता है या नहीं?
मुस्तफाबाद कैंप में हिंसा के बाद 275 परिवार रह रहे थे। कोरोना वायरस महामारी के बाद लोगों को कैंप से निकाले जाने के खिलाफ शेख मुजतबा फारूक की ओर से याचिका दायर कर सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि कैंप से निकाले लोगों के लिए कैंप को फिर से खोला जाए, ताकि लोग सड़कों पर ना रहेें। इसके साथ लोगों के लिए पर्याप्त भोजन, चिकित्सा और पेयजल की मांग की गई। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि 23 और 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी जिले में हुई हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से ज्यादा लोगों घायल हुए थे। इस दौरान कई परिवारों के घरों में आग लगा दी गई थी, जिस कारण काफी लोग बेघर हो गए थे।
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