विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो 24 से 27 जनवरी तक भारत की यात्रा पर रहेंगे। वह 26 जनवरी को भारत के 71वें गणतंत्र दिवस समारोह में विशेष अतिथि होंगे।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो 24 से 27 जनवरी तक भारत की यात्रा पर रहेंगे। वह 26 जनवरी को भारत के 71वें गणतंत्र दिवस समारोह में विशेष अतिथि होंगे। इस यात्र से दोनों देशों के बहुआयामी संबंधों के आगे बढ़ने और मजबूत होने की उम्मीद है। पूर्व सेना प्रमुख बोलसोनारो ने अक्टूबर 2018 चुनाव में प्रचंड जीत हासिल कर पिछले साल जनवरी में राष्ट्रपति पद की बागडोर संभाली थी। इससे पहले ब्राजील के किसी राष्ट्रपति की यात्रा अक्टूबर 2016 में हुई थी। उस समय गोवा में आयोजित आठवें ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति मिशेल टेमर आए थे। प्रधानमंत्री मोदी 11वें ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने नवंबर में ब्राजील गए थे। ब्राजील के राष्ट्रपति 1996 और 2004 में गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि रह चुके हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शनिवार को बोलसोनारो के साथ भेंटवार्ता करेंगे और उनके सम्मान में भोज भी देंगे। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी बोलसोनारो से मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रलय के अनुसार 21 जनवरी को बोलसोनारो भारत-ब्राजील व्यापार मंच पर दोनों देशों के उद्योगपतियों को संबोधित करेंगे।


" alt="" aria-hidden="true" />


Popular posts
27 मार्च को हाईकोर्ट ने मुस्तफाबाद कैंप से निकाले गए विस्थापित लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा और आश्रय मुहैया करवाने के आदेश दिए थे। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और नवीन चावला की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कैंप से विस्थापितों के लिए उत्तर पूर्वी जिले में मोहल्ला क्लीनिक संचालित है। पीठ को बताया कि हिंसा के बाद मुस्तफाबाद ईदगाह में बनाए गए राहत शिविर को कोरोना वायरस के खतरे के कारण खाली कराया गया था। अब उन लोगों से संपर्क करके उन्हें लॉकडाउन की स्थिति में भोजन, पानी, मेडिकल और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा के दौरान बेघर हुए लोगों को चिकित्सा और भोजन मुहैया कराने के आदेश पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ईदगाह कैंप से निकलने वाले लोगों की तलाश कर रही है। यह पता करने की कोशिश की जा रही है विस्थापितों को चिकित्सा और भोजन की आवश्यकता है या नहीं?
मुस्तफाबाद कैंप में हिंसा के बाद 275 परिवार रह रहे थे। कोरोना वायरस महामारी के बाद लोगों को कैंप से निकाले जाने के खिलाफ शेख मुजतबा फारूक की ओर से याचिका दायर कर सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि कैंप से निकाले लोगों के लिए कैंप को फिर से खोला जाए, ताकि लोग सड़कों पर ना रहेें। इसके साथ लोगों के लिए पर्याप्त भोजन, चिकित्सा और पेयजल की मांग की गई। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि 23 और 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी जिले में हुई हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से ज्यादा लोगों घायल हुए थे। इस दौरान कई परिवारों के घरों में आग लगा दी गई थी, जिस कारण काफी लोग बेघर हो गए थे।
सैनिटाइजर का प्रयोग हो सकता है जानलेवा
Delhi Weather: दिल्ली में मौसम ने ली करवट, कई इलाकों में हुई बारिश