संबित पात्रा का आरोप, कांग्रेस ने विरोध की आड़ में हिन्दुओं को गाली देने का काम किया

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक पार्टियां सीएए और एनपीआर को लेकर देश में भ्रम का माहौल बना रही हैं। उन्होंने साफ तौर पर आरोप लगाया कि इसमें सबसे ज्यादा कांग्रेस पार्टी का हाथ है। इस प्रोटेस्ट की आड़ पर उन्होंने हिन्दुओं को गाली देने का काम किया है। कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के बयान का हवाला देते हुए पात्रा ने कहा कि इसका एक ही निचोड़ है कि कांग्रेस मुसलमानों से पूछकर ही सरकार बनाती है, किसी और धर्म के लोगों को ध्यान में रखकर नहीं। अशोक चव्हाण ने कहा ता कि हमने मुसलमान भाईयों के कहने पर महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सरकार बनाई है। मुस्लिमों का कहना था कि बीजेपी हमारी सबसे बड़ी दुश्मन है, इसलिए हमने शिवसेना के साथ सरकार बनाई। संबित ने अकबरुद्दीन औवेसी के बयान पर हमला करते हुए कहा कि कल उसने कहा कि मुसलमानों ने 800 वर्ष तक इस मुल्क में हुक्मरानी और जांबाजी की है। मेरे आबा और जात ने इस मुल्क को कुतुबमीनार, 4 मिनार, जामा मस्जिद दिया है। लाल किला भी मेरे आबा और दादा ने बनाया, तेरे बाप ने क्या बनाया है? ये सवाल किससे था? भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि हमारे दादा-परदादा ने इसे देश को सहिष्णु, विराट, क्षमतावान, गरीमावान बनाया और आप लोग ऐसी भाषा का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि 11 जुलाई 2018 को कांग्रेस ने साफ कहा कि हां कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है। 9 जुलाई 2018 को कांग्रेस के जेड ए खान कहते हैं कि देश के हर जिले में सरिया कोर्ट की वकालत होनी चाहिए। 17 मई 2017 यूथ कांग्रेस के एक नेता केरल में गाय की हत्या करते हैं और सार्वजनिक रूप से गौ मांस की भक्षण करते हैं। 2016-17 में राहुल गांधी जेएनयू जाते हैं और वहां देश विरोधी नारे लगते हैं। 2008 में समझौता एक्सप्रेस विस्फोट में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने हिंदू आंतकवाद पर उंगली उठाई। 2006 में मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। 2004 में सोनिया जी ने कांची कामकोटि के शंकराचार्य को गिरफ्तार कराया। " alt="" aria-hidden="true" />


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27 मार्च को हाईकोर्ट ने मुस्तफाबाद कैंप से निकाले गए विस्थापित लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा और आश्रय मुहैया करवाने के आदेश दिए थे। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और नवीन चावला की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कैंप से विस्थापितों के लिए उत्तर पूर्वी जिले में मोहल्ला क्लीनिक संचालित है। पीठ को बताया कि हिंसा के बाद मुस्तफाबाद ईदगाह में बनाए गए राहत शिविर को कोरोना वायरस के खतरे के कारण खाली कराया गया था। अब उन लोगों से संपर्क करके उन्हें लॉकडाउन की स्थिति में भोजन, पानी, मेडिकल और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा के दौरान बेघर हुए लोगों को चिकित्सा और भोजन मुहैया कराने के आदेश पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ईदगाह कैंप से निकलने वाले लोगों की तलाश कर रही है। यह पता करने की कोशिश की जा रही है विस्थापितों को चिकित्सा और भोजन की आवश्यकता है या नहीं?
मुस्तफाबाद कैंप में हिंसा के बाद 275 परिवार रह रहे थे। कोरोना वायरस महामारी के बाद लोगों को कैंप से निकाले जाने के खिलाफ शेख मुजतबा फारूक की ओर से याचिका दायर कर सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि कैंप से निकाले लोगों के लिए कैंप को फिर से खोला जाए, ताकि लोग सड़कों पर ना रहेें। इसके साथ लोगों के लिए पर्याप्त भोजन, चिकित्सा और पेयजल की मांग की गई। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि 23 और 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी जिले में हुई हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से ज्यादा लोगों घायल हुए थे। इस दौरान कई परिवारों के घरों में आग लगा दी गई थी, जिस कारण काफी लोग बेघर हो गए थे।
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