वे निज देश हित पाक से दौड़ आए
घुसा ताज में कितना तांडव मचाए
कई जानें ली,खून कितना बहाए
कई गोद,घर-माँग सूना बनाए...॥।1
हमें भी वतन निज बचाना पड़ेगा
सभी रावणों को भगाना पड़ेगा
पुन: राम केशव बनाना पड़ेगा
हरेक पहरूओं को जगाना पड़ेगा ॥।2॥
हैं सब सोचते क्यों मुसीबत बढाएं.
निरर्थक ही पैसा समय क्यों गवाएं॥
व्यवस्था से क्यों व्यर्थ पंगा लड़ाएं,
जो खाली हैं वे खुद करें या कराएं ॥।3॥।
यहां पास अपने मसाइल खड़ी है.
दवा-रोजी रोटी की आफत बड़ी है।
यही है वजह जिससे मुश्किल बढ़ी है.
हैं सब सोंचते, बस हमें क्या पड़ी है ॥।4॥
हैं, सभी सोचते कोई आएगा पहले.
नया रास्ता खुद दिखाएगा पहले
सोते हुओं को जगाएगा पहले ।
संकट हमारा मिटाएगा पहले॥।5॥।
हम उस मसीहा के पीछे चलेंगे.
अपना किए नैन नीचे चलेंगे ॥
कायरता मन में उलीचे चलेंगे,
मगर लक्ष्मण रेखा खीचे चलेंगे॥।6॥।
बताओ यही हाल कब तक चलेगा.
मिटाए बिना मर्ज कब तक मिटेगा,
बिना बीज बोए कहां फल मिलेगा
पतित हो रहा हिन्द कैसा उठेगा ॥।७॥।
अब केवल नहीं काम कहने से होगा,
ना नेता नियति को उलहने से होगा.
झुका शीश हरदम ने सहने से होगा
स्वयम के लिए स्वयं करने से होगा॥॥।८॥।
जरूरत पड़ी जख्म खाना पड़ेगा
लहू देश हित निज बहाना पड़ेगा
चिता भी स्वयं की सजाना पड़ेगा
रोते हुए गीत गाना पड़ेगा ॥।10॥।
आओ पहल आज मिलकर करें हम
सबको लिए साथ मिलकर चलें हम
पतित इस व्यवस्था से आओ लड़ें हम
जहां जुल्म होवे, हों मिलकर खड़े हम .....
मगर लक्ष्मण रेखा खीचे चलेंगे