माँ अभिमान की तरह होती हैं, और पत्नी सावभिमान की तरह। l

माँ अभिमान की  तरह होती हैं, और पत्नी सावभिमान की तरह। .. आपका अभिमान आपकी रक्षा करता हैं और अपने स्वाभिमान की रक्षा आपको करनी होती हैं... आपका अभिमान आपको मजबूत बनता हैं और अपने स्वाभिमान को आपको मजबूत बनाना पड़ता हैं। . .. अभिमान आपको ताकत देता हैं  और स्वाभिमान को आपसे ताकत मिलती हैं.... अभिमान आपके साथ  आपके जन्म से हैं और सावभिमान को बनाये रखने के लिए लिए जनम भर वादे निभाने  पड़ते है। ...  अभिमान के लिए आप उसकी इज्जत हो। ... और सावभिमान आपके लिए आपकी इज्जत हैं.... पर  हर  वक़्त  मेरा अभिमान जीवन भर मेरे द्वारा मेरे स्वाभिमान को बनाये रखने में खुश हैं. 


 


और हर पुरुष अपने अभिमान को स्वाभिमान से जायदा प्रेम करता हैं यह वह सत्य हैं जिसे दिखाने के लिए प्रभु हनुमान जी जैसे छाती चीरने का सहस  और भक्ति चाहिए। .... 


 


और अंत मैं श्री शाहरुख़ खान जी के शब्दो मे एक आदमी का सर तीन ही औरतों के सामने झुकता हैं 


पहला देवी माँ... 


दूसरा अपनी  माँ। .... 


और तीसरा।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।???????????????????????????


सावभिमान 


 


 


Popular posts
27 मार्च को हाईकोर्ट ने मुस्तफाबाद कैंप से निकाले गए विस्थापित लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा और आश्रय मुहैया करवाने के आदेश दिए थे। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और नवीन चावला की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कैंप से विस्थापितों के लिए उत्तर पूर्वी जिले में मोहल्ला क्लीनिक संचालित है। पीठ को बताया कि हिंसा के बाद मुस्तफाबाद ईदगाह में बनाए गए राहत शिविर को कोरोना वायरस के खतरे के कारण खाली कराया गया था। अब उन लोगों से संपर्क करके उन्हें लॉकडाउन की स्थिति में भोजन, पानी, मेडिकल और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा के दौरान बेघर हुए लोगों को चिकित्सा और भोजन मुहैया कराने के आदेश पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ईदगाह कैंप से निकलने वाले लोगों की तलाश कर रही है। यह पता करने की कोशिश की जा रही है विस्थापितों को चिकित्सा और भोजन की आवश्यकता है या नहीं?
मुस्तफाबाद कैंप में हिंसा के बाद 275 परिवार रह रहे थे। कोरोना वायरस महामारी के बाद लोगों को कैंप से निकाले जाने के खिलाफ शेख मुजतबा फारूक की ओर से याचिका दायर कर सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि कैंप से निकाले लोगों के लिए कैंप को फिर से खोला जाए, ताकि लोग सड़कों पर ना रहेें। इसके साथ लोगों के लिए पर्याप्त भोजन, चिकित्सा और पेयजल की मांग की गई। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि 23 और 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी जिले में हुई हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से ज्यादा लोगों घायल हुए थे। इस दौरान कई परिवारों के घरों में आग लगा दी गई थी, जिस कारण काफी लोग बेघर हो गए थे।
सैनिटाइजर का प्रयोग हो सकता है जानलेवा
Delhi Weather: दिल्ली में मौसम ने ली करवट, कई इलाकों में हुई बारिश