जरूरी क्यों है फुड प्रोसेसिंग

एक एक्सपोर्टर ने बताया कि किसी भी खाद्य पदार्थ खासकर फल, सब्जियों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए उस प्रोसेसिंग जरूरी होती है.विदेशों में आम, सेब, संतरे,अंगूर , केला तथा अन्य फलों के साथ ही खेतों से सीधे बाजार में आने वाली सब्जियों को आम ग्राहकों को बेचने से पहले तीन तरह की वैज्ञानिक प्रक्रियाएं की जाती हैं. पहला हॉट वाटर ट्रीटमेंट, दूसरा वेप्योर हीट ट्रीटमेंट तथा तीसरा रेडिएशन ट्रीटमेंट .इन प्रक्रियाओं के बाद फलों एवं सब्जियों में किटाणुओं का दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है साथ ही बीमारियों का खतरा भी नहीं रहता. उष्णता ख़त्म हो जाती है, उन्हें पकाने या संरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किया गया रसायन भी धुल जाता है. यूरोप आदि देशों में खाद्य एवं औषधि प्रशासन फुड क्वाािलटी को लेकर बेहद गंभीरता के साथ निगरानी करता है, हालांकि भारत में इस पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जाता. अक्सर खेतों से निकाली गई सब्जियां, व पेड़ों से तोड़े गए फल धूल-मिट्टी के साथ बाजारों में बेचने के लिए लाए जाते हैं. जानकारों की राय में इस तरह की लापरवाही से कई खतरनाक बीमारियां फैलती हैं जिनका कारण नहीं पता चल पाता . केमिकल लगे अंगूर एवं केले के फलों को देख कर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, हालांकि पाबंदी नहीं होने से व्यापारी सीधे ग्राहकों को बेच देते हैं.


Popular posts
27 मार्च को हाईकोर्ट ने मुस्तफाबाद कैंप से निकाले गए विस्थापित लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा और आश्रय मुहैया करवाने के आदेश दिए थे। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और नवीन चावला की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कैंप से विस्थापितों के लिए उत्तर पूर्वी जिले में मोहल्ला क्लीनिक संचालित है। पीठ को बताया कि हिंसा के बाद मुस्तफाबाद ईदगाह में बनाए गए राहत शिविर को कोरोना वायरस के खतरे के कारण खाली कराया गया था। अब उन लोगों से संपर्क करके उन्हें लॉकडाउन की स्थिति में भोजन, पानी, मेडिकल और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा के दौरान बेघर हुए लोगों को चिकित्सा और भोजन मुहैया कराने के आदेश पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ईदगाह कैंप से निकलने वाले लोगों की तलाश कर रही है। यह पता करने की कोशिश की जा रही है विस्थापितों को चिकित्सा और भोजन की आवश्यकता है या नहीं?
मुस्तफाबाद कैंप में हिंसा के बाद 275 परिवार रह रहे थे। कोरोना वायरस महामारी के बाद लोगों को कैंप से निकाले जाने के खिलाफ शेख मुजतबा फारूक की ओर से याचिका दायर कर सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि कैंप से निकाले लोगों के लिए कैंप को फिर से खोला जाए, ताकि लोग सड़कों पर ना रहेें। इसके साथ लोगों के लिए पर्याप्त भोजन, चिकित्सा और पेयजल की मांग की गई। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि 23 और 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी जिले में हुई हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से ज्यादा लोगों घायल हुए थे। इस दौरान कई परिवारों के घरों में आग लगा दी गई थी, जिस कारण काफी लोग बेघर हो गए थे।
सैनिटाइजर का प्रयोग हो सकता है जानलेवा
Delhi Weather: दिल्ली में मौसम ने ली करवट, कई इलाकों में हुई बारिश