एक एक्सपोर्टर ने बताया कि किसी भी खाद्य पदार्थ खासकर फल, सब्जियों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए उस प्रोसेसिंग जरूरी होती है.विदेशों में आम, सेब, संतरे,अंगूर , केला तथा अन्य फलों के साथ ही खेतों से सीधे बाजार में आने वाली सब्जियों को आम ग्राहकों को बेचने से पहले तीन तरह की वैज्ञानिक प्रक्रियाएं की जाती हैं. पहला हॉट वाटर ट्रीटमेंट, दूसरा वेप्योर हीट ट्रीटमेंट तथा तीसरा रेडिएशन ट्रीटमेंट .इन प्रक्रियाओं के बाद फलों एवं सब्जियों में किटाणुओं का दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है साथ ही बीमारियों का खतरा भी नहीं रहता. उष्णता ख़त्म हो जाती है, उन्हें पकाने या संरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किया गया रसायन भी धुल जाता है. यूरोप आदि देशों में खाद्य एवं औषधि प्रशासन फुड क्वाािलटी को लेकर बेहद गंभीरता के साथ निगरानी करता है, हालांकि भारत में इस पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जाता. अक्सर खेतों से निकाली गई सब्जियां, व पेड़ों से तोड़े गए फल धूल-मिट्टी के साथ बाजारों में बेचने के लिए लाए जाते हैं. जानकारों की राय में इस तरह की लापरवाही से कई खतरनाक बीमारियां फैलती हैं जिनका कारण नहीं पता चल पाता . केमिकल लगे अंगूर एवं केले के फलों को देख कर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, हालांकि पाबंदी नहीं होने से व्यापारी सीधे ग्राहकों को बेच देते हैं.
जरूरी क्यों है फुड प्रोसेसिंग