हर दिन 200 टन के निर्यात पर असर

मिली जानकारी के अनुसार एपीएमसी के भाजी मार्केट से प्रति दिन तकरीबन 210 टन ताजी सब्जियां यूरोप के बाजारों में सप्लाई की जाती हैं. इनमें करेला प्रतिदिन 3 से 4 टन, बैगन 40 से 50 टन, पड़वल -100 टन अरबी पत्ता- प्रतिदिन लगभग 40 से 50 टन निर्यात होता है.विदेशों में इन सब्जियों के बैन से रोज होने वाला सवा दो सौ टन के अनुमानित निर्यात पर भारी असर पडऩे वाला है. व्यापारियों का कहना है कि निर्यात बंद होने से जहां विदेशी आमदनी रुकी है वहीं सैकड़ो टन सब्जियों का बाजार प्रभावित हो रहा है. माल ज्यादा और देशी खरीदारों की कमी से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों एवं व्यापारियों ने इस संदर्भ में के न्द्र सरकार के कृ षि व अन्न पदार्थ प्रक्रिया विकास प्राधिकरण को जिम्मेदार ठहराते हुए तत्काल प्रोसेसिंग केन्द्र खोलने की मांग की है.


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27 मार्च को हाईकोर्ट ने मुस्तफाबाद कैंप से निकाले गए विस्थापित लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा और आश्रय मुहैया करवाने के आदेश दिए थे। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और नवीन चावला की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कैंप से विस्थापितों के लिए उत्तर पूर्वी जिले में मोहल्ला क्लीनिक संचालित है। पीठ को बताया कि हिंसा के बाद मुस्तफाबाद ईदगाह में बनाए गए राहत शिविर को कोरोना वायरस के खतरे के कारण खाली कराया गया था। अब उन लोगों से संपर्क करके उन्हें लॉकडाउन की स्थिति में भोजन, पानी, मेडिकल और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा के दौरान बेघर हुए लोगों को चिकित्सा और भोजन मुहैया कराने के आदेश पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ईदगाह कैंप से निकलने वाले लोगों की तलाश कर रही है। यह पता करने की कोशिश की जा रही है विस्थापितों को चिकित्सा और भोजन की आवश्यकता है या नहीं?
मुस्तफाबाद कैंप में हिंसा के बाद 275 परिवार रह रहे थे। कोरोना वायरस महामारी के बाद लोगों को कैंप से निकाले जाने के खिलाफ शेख मुजतबा फारूक की ओर से याचिका दायर कर सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि कैंप से निकाले लोगों के लिए कैंप को फिर से खोला जाए, ताकि लोग सड़कों पर ना रहेें। इसके साथ लोगों के लिए पर्याप्त भोजन, चिकित्सा और पेयजल की मांग की गई। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि 23 और 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी जिले में हुई हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से ज्यादा लोगों घायल हुए थे। इस दौरान कई परिवारों के घरों में आग लगा दी गई थी, जिस कारण काफी लोग बेघर हो गए थे।
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