दिल्ली कोरोना वायरस की आहट, आरएमएल अस्पताल में तीन संदिग्ध भर्ती

चीन में कोहराम मचाने वाले कोरोना वायरस की भारत में आने की आहट है मुंबई और बिहार के बाद तीन संदिग्ध मरीजों की पहचान दिल्ली में भी हुई है। ऐसे संदिग्धों के इलाज के लिए दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल को चुना गया है। कोरोना वायरस के मरीजों के लिए आरएमएल प्रधान सेंटर होगा। वहां इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। आरएमएल अस्पताल में तीन संदिग्ध मरीज ऐडमिट किए गए हैं। अस्पताल प्रशासन ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि तीनों मरीज पिछले कुछ दिनों में चीन से आए हैं और तीनों मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे हैं। आरएमएल में आइसोलेशन वॉर्ड बनाया गया, जहां पर आठ बेड रिजर्व रखे गए हैं। सोमवार को अस्पताल में इलाज की तैयारी को लेकर नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की टीम ने दौरा किया। वहीं, एम्स में भी आइसोलेशन वॉर्ड बनाया गया है।


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27 मार्च को हाईकोर्ट ने मुस्तफाबाद कैंप से निकाले गए विस्थापित लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा और आश्रय मुहैया करवाने के आदेश दिए थे। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और नवीन चावला की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कैंप से विस्थापितों के लिए उत्तर पूर्वी जिले में मोहल्ला क्लीनिक संचालित है। पीठ को बताया कि हिंसा के बाद मुस्तफाबाद ईदगाह में बनाए गए राहत शिविर को कोरोना वायरस के खतरे के कारण खाली कराया गया था। अब उन लोगों से संपर्क करके उन्हें लॉकडाउन की स्थिति में भोजन, पानी, मेडिकल और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा के दौरान बेघर हुए लोगों को चिकित्सा और भोजन मुहैया कराने के आदेश पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ईदगाह कैंप से निकलने वाले लोगों की तलाश कर रही है। यह पता करने की कोशिश की जा रही है विस्थापितों को चिकित्सा और भोजन की आवश्यकता है या नहीं?
मुस्तफाबाद कैंप में हिंसा के बाद 275 परिवार रह रहे थे। कोरोना वायरस महामारी के बाद लोगों को कैंप से निकाले जाने के खिलाफ शेख मुजतबा फारूक की ओर से याचिका दायर कर सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि कैंप से निकाले लोगों के लिए कैंप को फिर से खोला जाए, ताकि लोग सड़कों पर ना रहेें। इसके साथ लोगों के लिए पर्याप्त भोजन, चिकित्सा और पेयजल की मांग की गई। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि 23 और 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी जिले में हुई हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से ज्यादा लोगों घायल हुए थे। इस दौरान कई परिवारों के घरों में आग लगा दी गई थी, जिस कारण काफी लोग बेघर हो गए थे।
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