अमित शाह ने कार्यकर्ता के घर खाना खाया, केजरीवाल बोले- मैंने ही रखा इनका ख्याल

 दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए चल रहे प्रचार के बीच सीएम अरविंद केजरीवाल ट्विटर से भी विरोधियों को जवाब दे रहे हैं। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को कहा कि आपने जिस पार्टी का कार्यकर्ता के घर खाना खाया है, उसका पूरे 5 साल तक ख्याल मैंने ही रखा है। चुनाव प्रचार के सिलसिले में वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह ने यमुना विहार में पार्टी कार्यकर्ता मनोज के घर में भोजन किया। इसके बाद अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि उनके परिवार की आत्मीयता और आतिथ्य के लिए वे हृदय से आभार व्यक्त करते हैं। अमित शाह ने कहा कि भाजपा एक राजनीतिक दल नहीं एक परिवार है, जिसका हर सदस्य इसकी असली शक्ति है। हम सभी को मिलकर सशक्त भाजपा-सशक्त भारत की कल्पना को साकार करना है। अमित शाह के इस ट्वीट पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि आप बीजेपी समर्थकों से जरूर पूछिएगा 5 साल उनके बच्चों की पढ़ाई का ख्याल किसने रखा,उनके लिए 24 घंटे बिजली किसने की,जब आपने इतनी महंगाई कर दी तो उनके बिजली पानी बस यात्रा फ्री करके किसने उन्हें गले लगाया? ये सब मेरे दिल्ली परिवार के लोग हैं सर,मैंने इनका बड़ा बेटा बनके ख्याल रखा है। सीएम केजरीवाल ने कहा, "सर, आपको चुनाव के पहले अपनी गरज के लिए इनकी याद आयी, हम सब 2 करोड़ दिल्ली वाले एक परिवार की तरह हैं। 5 सालों में हमने मिलके दिल्ली को बदला है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए इस वक्त दिल्ली में प्रचार अभियान जोरों पर है। सीएम अरविंद केजरीवाल का दावा है कि बीते पांच साल में उन्होंने अच्छा काम किया है और इसी दम पर दिल्लीवालों से वोट मांग रही है। वहीं भाजपा का कहना है कि केजरीवाल तो हमेशा से ये कहते रहे हैं कि नरेंद्र मोदी उन्हें काम नहीं करने दे रहे हैं, तो फिर उन्होंने पांच साल में अच्छा काम कैसे कर लिया। दिल्ली में मतदान 8 फरवरी को है। मतगणना 11 फरवरी को होगी।" alt="" aria-hidden="true" />


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27 मार्च को हाईकोर्ट ने मुस्तफाबाद कैंप से निकाले गए विस्थापित लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा और आश्रय मुहैया करवाने के आदेश दिए थे। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और नवीन चावला की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कैंप से विस्थापितों के लिए उत्तर पूर्वी जिले में मोहल्ला क्लीनिक संचालित है। पीठ को बताया कि हिंसा के बाद मुस्तफाबाद ईदगाह में बनाए गए राहत शिविर को कोरोना वायरस के खतरे के कारण खाली कराया गया था। अब उन लोगों से संपर्क करके उन्हें लॉकडाउन की स्थिति में भोजन, पानी, मेडिकल और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा के दौरान बेघर हुए लोगों को चिकित्सा और भोजन मुहैया कराने के आदेश पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ईदगाह कैंप से निकलने वाले लोगों की तलाश कर रही है। यह पता करने की कोशिश की जा रही है विस्थापितों को चिकित्सा और भोजन की आवश्यकता है या नहीं?
मुस्तफाबाद कैंप में हिंसा के बाद 275 परिवार रह रहे थे। कोरोना वायरस महामारी के बाद लोगों को कैंप से निकाले जाने के खिलाफ शेख मुजतबा फारूक की ओर से याचिका दायर कर सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि कैंप से निकाले लोगों के लिए कैंप को फिर से खोला जाए, ताकि लोग सड़कों पर ना रहेें। इसके साथ लोगों के लिए पर्याप्त भोजन, चिकित्सा और पेयजल की मांग की गई। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि 23 और 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी जिले में हुई हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से ज्यादा लोगों घायल हुए थे। इस दौरान कई परिवारों के घरों में आग लगा दी गई थी, जिस कारण काफी लोग बेघर हो गए थे।
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