अधिकारी के अनुसार एयरपोर्ट पर भी आरमएएल अस्पताल के डॉक्टरों की टीम चीन से आने वाले मरीजों की स्क्रीनिंग कर रही है।

अधिकारी के अनुसार एयरपोर्ट पर भी आरमएएल अस्पताल के डॉक्टरों की टीम चीन से आने वाले मरीजों की स्क्रीनिंग कर रही है। अच्छी बात यह है कि अभी तक इस वायरस का कोई पॉजिटिव केस भारत में नहीं आया है। जो तीन मरीज आरएमएल अस्पताल में ऐडमिट हुए हैं, वो कुछ दिन पहले चीन से आए हैं, जिसमें से एक मरीज करीब एक महीने पहले चीन से वापस आया है। उन्हें कुछ दिक्कत हो रही थी, इसलिए वह इलाज के लिए पहुंचे हैं। बाकी दो मरीज भी चीन से लौटे हैं। एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के बयान के अनुसार अस्पताल में करॉना वायरस के जोखिम को देखते हुए तैयारियां शुरू कर दी गई है। संस्थान ने वायरस के संदिग्धों से निपटने के लिए एक अलग वॉर्ड बनाया है। एम्स ऐसे संदिग्धों के मरीजों के इलाज के लिए पूरी तरह तैयार है और सभी जरूरी इंतजामों को भी पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि संस्थान में इस वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए प्रशिक्षित डॉक्टरों और नर्सों की टीम भी तैयार की गई है। " alt="" aria-hidden="true" />


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27 मार्च को हाईकोर्ट ने मुस्तफाबाद कैंप से निकाले गए विस्थापित लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा और आश्रय मुहैया करवाने के आदेश दिए थे। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और नवीन चावला की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कैंप से विस्थापितों के लिए उत्तर पूर्वी जिले में मोहल्ला क्लीनिक संचालित है। पीठ को बताया कि हिंसा के बाद मुस्तफाबाद ईदगाह में बनाए गए राहत शिविर को कोरोना वायरस के खतरे के कारण खाली कराया गया था। अब उन लोगों से संपर्क करके उन्हें लॉकडाउन की स्थिति में भोजन, पानी, मेडिकल और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा के दौरान बेघर हुए लोगों को चिकित्सा और भोजन मुहैया कराने के आदेश पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ईदगाह कैंप से निकलने वाले लोगों की तलाश कर रही है। यह पता करने की कोशिश की जा रही है विस्थापितों को चिकित्सा और भोजन की आवश्यकता है या नहीं?
मुस्तफाबाद कैंप में हिंसा के बाद 275 परिवार रह रहे थे। कोरोना वायरस महामारी के बाद लोगों को कैंप से निकाले जाने के खिलाफ शेख मुजतबा फारूक की ओर से याचिका दायर कर सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि कैंप से निकाले लोगों के लिए कैंप को फिर से खोला जाए, ताकि लोग सड़कों पर ना रहेें। इसके साथ लोगों के लिए पर्याप्त भोजन, चिकित्सा और पेयजल की मांग की गई। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि 23 और 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी जिले में हुई हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से ज्यादा लोगों घायल हुए थे। इस दौरान कई परिवारों के घरों में आग लगा दी गई थी, जिस कारण काफी लोग बेघर हो गए थे।
सैनिटाइजर का प्रयोग हो सकता है जानलेवा
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