टाटा पावर पूरे देशभर में 10 हजार माइक्रोग्रिड लगाएगी

नई दिल्ली(एजेंसी) निजी बिजली कंपनी टाटा पावर ने नवीन ऊर्जा उत्पादन के लिए टीपी नवीन ऊर्जा माइक्रोग्रिड नाम की सहायक कंपनी स्थापित करने की घोषणा की है। यह कंपनी देशभर में 10 हजार माइक्रोग्रिड स्थापित करेगी, जिसकी मदद से 50 लाख घरों को रोशन किया जाएगा। टीपी नवीन ऊर्जा माइक्रोग्रिड की स्थापना में रॉकफेलर फाउंडेशन से तकनीकी मदद ली जाएगी। हालांकि रॉकफेलर फाउंडेशन इस उपक्रम में हिस्सेदारी नहीं करेगी। टाटा पावर की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि कंपनी देश में सस्ती, विश्वसनीय और स्वच्छ बिजली प्रदान करने का प्रयास करेगीइसके अलावा कंपनी की यह कोशिश बिजली से वंचित दुनियाभर के 80 करोड़ लोगों तक बिजली पहुंचाने के लक्ष्य से प्रेरित है। टाटा पावर ने बताया कि कंपनी भारत से ऊर्जा निर्धनता दूर करने के लिए 2026 तक नवीन ऊर्जा के 10 हजार माइक्रोग्रिड देशभर में स्थापित करेगीग्रामीण क्षेत्र में सक्रिय व्यापारिक प्रतिष्ठानों और घरों में अभी तक ऊर्जा के लिए डीजल जैसे वैकल्पिक स्नोत का इस्तेमाल हो रहा हैबिहार और उत्तर प्रदेश में 40 परसेंट से अधिक ग्रामीण उद्योगों में इस प्रदूषक ऊर्जा स्नोत का उपयोग किया जा रहा है। नवीज ऊर्जा माइक्रोग्रिड के इस्तेमाल से एक वर्ष में करीब 10 लाख टन कार्बन उत्सर्जन घटाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा प्रति वर्ष करीब 5.7 करोड़ लीटर डीजल की बचत की जा सकेगी।


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27 मार्च को हाईकोर्ट ने मुस्तफाबाद कैंप से निकाले गए विस्थापित लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा और आश्रय मुहैया करवाने के आदेश दिए थे। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और नवीन चावला की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कैंप से विस्थापितों के लिए उत्तर पूर्वी जिले में मोहल्ला क्लीनिक संचालित है। पीठ को बताया कि हिंसा के बाद मुस्तफाबाद ईदगाह में बनाए गए राहत शिविर को कोरोना वायरस के खतरे के कारण खाली कराया गया था। अब उन लोगों से संपर्क करके उन्हें लॉकडाउन की स्थिति में भोजन, पानी, मेडिकल और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा के दौरान बेघर हुए लोगों को चिकित्सा और भोजन मुहैया कराने के आदेश पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ईदगाह कैंप से निकलने वाले लोगों की तलाश कर रही है। यह पता करने की कोशिश की जा रही है विस्थापितों को चिकित्सा और भोजन की आवश्यकता है या नहीं?
मुस्तफाबाद कैंप में हिंसा के बाद 275 परिवार रह रहे थे। कोरोना वायरस महामारी के बाद लोगों को कैंप से निकाले जाने के खिलाफ शेख मुजतबा फारूक की ओर से याचिका दायर कर सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि कैंप से निकाले लोगों के लिए कैंप को फिर से खोला जाए, ताकि लोग सड़कों पर ना रहेें। इसके साथ लोगों के लिए पर्याप्त भोजन, चिकित्सा और पेयजल की मांग की गई। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि 23 और 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी जिले में हुई हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से ज्यादा लोगों घायल हुए थे। इस दौरान कई परिवारों के घरों में आग लगा दी गई थी, जिस कारण काफी लोग बेघर हो गए थे।
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