महिला को मिट्टी का तेल डालकर जलाने वाले आरोपित युवक को भेजा जेल

सदर कोतवाली के एक गांव में छेड़खानी का विरोध करने पर महिला के उपर मिट्टी का तेल गिराकर जलाने वाले आरोपित युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के बाद पुलिस ने सोमवार को जेल भेज दिया। साथ ही घटना की गंभीरता को देखते हुए एसपी समेत अन्य अधिकारी भी पीड़िता के गांव पहुंचे और ग्राम प्रधान समेत गांव के लोगों से मुलाकात की। लगभग एक घंटे तक पुलिस के अधिकारी गांव में जमे रहे। गांव की एक महिला को दो बच्चे हैं, पति विदेश में है। गांव के गौसुल महिला के घर में घुस गया और उसके साथ अश्लील हरकत करने लगा। महिला ने विरोध किया तो आरोपित ने उसके ऊपर मिट्टी का ते गिराकर आग लगा दिया। गंभीर रुप से झुलसी महिला का इलाज पीजीआइ में चल रहा है। इस बीच महिला के पिता ने गौसुल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दियाकोतवाली पुलिस ने सोमवार को गौसुल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। दिन में एसपी डा.श्रीपति मिश्र, एएसपी शिष्य पाल, सीओ सिटी निष्ठा उपाध्याय समेत अन्य अधिकारी गांव पहुंचे। एसपी को गांव के लोगों के ने बताया कि दोनों के बीच तीन साल से प्रेम संबंध था। महिला गांव में उस समय स्टोव से जलने की बात कह रही थीगांव के लोगों का बयान दर्ज कर लिया गया है।



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27 मार्च को हाईकोर्ट ने मुस्तफाबाद कैंप से निकाले गए विस्थापित लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा और आश्रय मुहैया करवाने के आदेश दिए थे। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और नवीन चावला की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कैंप से विस्थापितों के लिए उत्तर पूर्वी जिले में मोहल्ला क्लीनिक संचालित है। पीठ को बताया कि हिंसा के बाद मुस्तफाबाद ईदगाह में बनाए गए राहत शिविर को कोरोना वायरस के खतरे के कारण खाली कराया गया था। अब उन लोगों से संपर्क करके उन्हें लॉकडाउन की स्थिति में भोजन, पानी, मेडिकल और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा के दौरान बेघर हुए लोगों को चिकित्सा और भोजन मुहैया कराने के आदेश पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ईदगाह कैंप से निकलने वाले लोगों की तलाश कर रही है। यह पता करने की कोशिश की जा रही है विस्थापितों को चिकित्सा और भोजन की आवश्यकता है या नहीं?
मुस्तफाबाद कैंप में हिंसा के बाद 275 परिवार रह रहे थे। कोरोना वायरस महामारी के बाद लोगों को कैंप से निकाले जाने के खिलाफ शेख मुजतबा फारूक की ओर से याचिका दायर कर सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि कैंप से निकाले लोगों के लिए कैंप को फिर से खोला जाए, ताकि लोग सड़कों पर ना रहेें। इसके साथ लोगों के लिए पर्याप्त भोजन, चिकित्सा और पेयजल की मांग की गई। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे। गौरतलब है कि 23 और 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी जिले में हुई हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से ज्यादा लोगों घायल हुए थे। इस दौरान कई परिवारों के घरों में आग लगा दी गई थी, जिस कारण काफी लोग बेघर हो गए थे।
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